Kundali Me Mangal Dosh: क्या होता है कुंडली में मांगलिक दोष और कैसे बनता है यह योग, जानिए उपाय

ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष होता है, तो उसके विवाह में तरह-तरह की बाधाएं आती हैं। कुंडली में मंगल दोष होने पर जातक का विवाह नहीं तो है या फिर कई तरह की परेशानियों के बाद ही विवाह होता है।
Kundali Me Mangal Dosh: इन दिनों देश की मीडिया में हनीमून मनाने के लिए इंदौर से शिलांग गए राजा रघुवंशी की हत्या के मामले में उसकी पत्नी सोनम रघुवंशी पर आरोप है कि अपने पति की हत्या में वह शामिल है। पुलिस ने मुख्य आरोपी सोनम समेत तीन लोगों को गिरफ्तार कर लिया है। आपको बता दें कि इंदौर के रहने वाले राजा रघुवंशी और सोनम रघुवंशी की कुछ दिनों पहले ही विवाह हुआ था और हनीमून मनाने शिलांग गए थे, जहां राजा रघुवंशी की हत्या हो गई थी। देशभर की मीडिया में जहां एक तरफ इस हत्याकांड से जुड़े कई खुलासे हो रहे हैं, वहीं इस मामले में ज्योतिष से जुड़ी कुछ बाते भी सामने आ रही है। इसी बीच ज्योतिष शास्त्र से कुछ पंडितों और विद्वानों का मत है कि अपने पति की हत्या की आरोपी सोनम और मृतक पति राजा रघुवंशी की कुंडली में मंगल दोष के कारण ऐसे परिस्थिति का निर्माण हुआ। वहीं कुछ लोगों का मानना है कि कुंडली में मंगलदोष के प्रभाव से मुक्ति के लिए सोनम ने अपनी पति की हत्या में शामिल थी। आइए जानते हैं कुंडली में क्या होता है मंगल दोष, इसके दुष्प्रभाव और उपायों बारे में।
ज्योतिष शास्त्र में मंगल दोष
वैदिक ज्योतिष में कई तरह के शुभ और अशुभ योगों के बारे में विस्तार से बताया गया है। इन्ही में से एक कुंडली में बनने वाला योग होता है मंगल दोष। ज्योतिष में मंगल दोष का विशेष महत्व होता है। ज्योतिष शास्त्र की मान्यताओं के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष होता है, तो उसके विवाह में तरह-तरह की बाधाएं आती हैं। कुंडली में मंगल दोष होने पर जातक का विवाह नहीं तो है या फिर कई तरह की परेशानियों के बाद ही विवाह होता है। कुंडली में मंगलदोष होने पर विवाह के बाद भी अपने जीवन साथी से मतभेद, तनाव और दूसरी तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ता है। अगर किसी जातक की कुंडली में मंगलदोष होता है तो उनके माता-पिता बहुत ही परेशान और चिंतित रहते हैं।
क्या होता है मांगलिक दोष और कैसे बनता है ?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार कुंडली में मंगल दोष होने का संबंध ग्रहों के सेनापति, भूमिपुत्र, युद्ध ,रक्त, ऊर्जा और पराक्रम के कारक माने जाने वाले मंगल ग्रह से होता है। जब किसी जातक की कुंडली में मंगल ग्रह विशेष भाव से संबंध बनाते हैं तो मांगलिक दोष का निर्माण होता है। वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार जब जन्म कुंडली में मंगल ग्रह पहले, चौथे, सातवें, आठवें और बारहवें भाव में स्थित होता है तो कुंडली मांगलिक होती है। इसे जातक या जातिका के विवाह होने में देरी और वैवाहिक जीवन में तनाव का सामना करना पड़ता है। ज्योतिष में मंगल ग्रह को बहुत ही क्रूर और उग्र ग्रह माना जाता है। जिसके स्वभाव के कारण दो लोगों के जीवन में भी मतभेद और तनाव की स्थिति बनती है। लग्न भाव में मंगल के होने पर व्यक्ति के स्वभाव में उग्रता आती है क्योंकि कुंडली का पहला भाव व्यक्ति से स्वभाव, सेहत और व्यक्तित्व से संबंधित होता है। चतुर्थ भाव से माता, घर, संपत्ति और सुख से संबंधित होता है। सप्तम भाव से विवाह, जीवनसाथी का प्रतिनिधित्व होता है। कुंडली के अष्टम भाव से मृत्यु, विरासत का विचार होता है जबकि द्वादश भाव से खर्च और विदेश यात्रा का संबंध होता है।
मांगलिक दोष दूर करने के उपाय
– शिवजी की आराधना करने से मंगलदोष में कमी आती है और विवाह जल्दी से बनते हैं।
– कुंडली में मंगल दोष के प्रभावों को कम करने के लिए नियमित रूप से हनुमानजी की आराधना करें।
– कुंडली में मंगलदोष के असर को कम करने से लिए कुंभ या वट विवाह करने की मान्यता है। इसमें जो व्यक्ति अगर मांगलिक है तो सबसे पहले उसका विवाह प्रतीकात्मक रूप से पीपल के पेड़. वटवृक्ष या फिर मिट्टी के घड़े से किया जाता है। इस उपाय से मांगलिक दोष का प्रभाव खत्म हो जाता है और विवाह सामान्य तरीके से होता है।
मांगलिक होने पर विवाह के लिए वर-वधू का चयन
वैदिक ज्योतिष शास्त्र के अनुसार अगर वर और वधू दोनों ही मांगलिक है तो उनके विवाह करने पर यह दोष खत्म हो जाता है। इसके अलावा विवाह के लिए कुंडली का मिलान करें तो दोनों के कुंडलियों में समान दोष होने पर विवाह शुभ माना जाता है।