बिगड़ रहा पंजाब दा जायका: पारंपरिक व्यंजनों पर भारी पड़ रहा पिज्जा-बर्गर, अपने खाटी खाने को बिसार रहे एनआरआई

अमृतसर के कुलचे हों, छोले-भटूरे या फिर आलू के पराठे… पंजाब के पारंपरिक स्वादिष्ट व्यंजनों पर जंक फूड का असर चिंता का विषय बनता जा रहा है। आधुनिक जीवनशैली के कारण पारंपरिक खाने की आदतें बदल रही हैं। पंजाब में जंक फूड की आदत तेजी से फैल रही है। इसका मुख्य कारण पंजाब के युवाओं का कनाडा, ऑस्ट्रेलिया, यूके व अन्य विकसित देशों में रहना माना जा सकता है।
आज से 15-20 साल पहले पंजाब के किसी भी रोड पर गाड़ी लेकर निकलने पर दोनों ओर बड़ी-बड़ी खाट बिछे हुए ढाबे दिखाई देते थे। यहां आपको मक्की की रोटी, सरसों का साग, लस्सी, छोले-भटूरे व पराठे जैसे व्यंजन आम दिखाई देते थे।
गुड़ से बनी चाय जायके में चार चांद लगा देती। खाने का स्वाद भी एक दम देसी थी। आस-पास के गांवों में पैदा हुई सब्जी और दूध-दही, घी मक्खन के तो क्या ही कहने, लेकिन धीरे-धीरे ट्रेंड बदला और इन ढाबों की जगह आलीशान रेस्टोरेंट्स ने ले ली। फास्ट फूड के एक से एक बड़े ब्रांड के स्टोर खुल गए। देसी खाना तो खैर पंजाब में अब भी मिल जाता है, लेकिन खालिस देसी खाने के लिए थोड़ी मशक्कत करनी पड़ती है।
पंजाब में निकलने वाले नेशनल हाईवे व स्टेट हाइवे पर चंद किलोमीटर की दूरी पर फास्ट फूड के बड़े-बड़े ब्रांड के स्टोर आसानी से देखे जा सकते हैं। इनसे धीरे-धीरे यहां का जायका बदल रहा है। अब दिल्ली के कनॉट प्लेस और अमृतसर की फूड स्ट्रीट में आपको खास अंतर नजर नहीं आएगा। यू कहें तो इलाके के हिसाब से खाने के जायके और व्यंजनों में अंतर दिखाई देता था, वह अब कम हो रहा है। फास्ट फूड के बड़े ब्रांड के स्टोर के सामने मक्की की रोटी व सरसों के साग की महक गायब होती जा रही है।
मोटापे और टाइप-2 डायबिटीज की समस्या बढ़ी
डॉ. धीरज भाटिया का कहना है कि जंक फूड में फाइबर कम और फैट, नमक व चीनी ज्यादा होती है, जिससे मोटापा, डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर और हृदय रोग जैसे रोगों की दर पंजाब में तेजी से बढ़ी है। पंजाब देश के सबसे अधिक मोटापे और टाइप-2 डायबिटीज दरों वाले राज्यों में से एक बन गया है। पहले खाना एक संस्कार माना जाता था, अब यह केवल तृप्ति का माध्यम बनता जा रहा है। पारंपरिक व्यंजनों में लगने वाले समय और मेहनत की जगह त्वरित व खाद्य पदार्थों को प्राथमिकता दी जा रही है। पंजाब की लस्सी बेस्ट प्रो बॉयटिक है, लेकिन अब उसका स्थान सॉफ्ट ड्रिंक ने ले लिया है, जिससे मेटाबॉलिज्म सिस्टम गड़बड़ाने लगा है।
आंतों और दांतों पर असर
प्रसिद्ध दंत चिकित्सक डॉ. नवदीप अनेजा का कहना है कि जंक फूड की लत के कारण बच्चों और युवाओं का पारिवारिक खाने में रुचि कम होती जा रही है। रसोई में खाना बनाने की जगह रेडी-टू-ईट या ऑनलाइन ऑर्डर की प्रवृत्ति बढ़ गई है। इसका असर आंतों के साथ साथ दांतों पर भी हो रहा है।
पारंपरिक फूड को आधुनिक ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए
डीएवी कॉलेज नकोदर की प्रोफेसर सोनिया का कहना है कि पारंपरिक फूड को आधुनिक ढंग से प्रस्तुत करना चाहिए, जैसे हेल्दी तंदूरी व्यंजन, कम तेल वाली दाल मक्खनी आदि। स्कूल और कॉलेजों में खाद्य शिक्षा बच्चों को संतुलित आहार और देसी खाने की महत्ता बतानी चाहिए। घरेलू बागवानी और ताजा खाद्य पदार्थों को अपनाना चाहिए, जैसे ऑर्गैनिक सब्ज़ियाँ, देसी घी आदि। स्थानीय व्यंजनों को बढ़ावा देना की तरफ ध्यान देने की जरूरत है।
इसके लिए फूड फेस्टिवल भी लगाने चाहिए। मुख्य पारंपरिक पंजाबी भोजन हैं – सरसों का साग, शाही पनीर, दाल मक्खनी, राजमा, छोले, आलू, चिकन कड़ाही, चिकन तंदूरी, मक्की दी रोटी, नान, फुल्का, पूरी, पापड़, लस्सी, खीर, रबड़ी, लेकिन धीरे धीरे इनका चलन कम हो रहा है।
आज भी पहली पसंद
फूड चेन चलाने वाले हवेली ग्रुप के एमडी सतीश जैन का कहना है वह पंजाब के विरासती फूड को बनाने व परोसने में लंबे सालों से काम कर रहे हैं। विदेशी फूड चेन व जंक फूड का प्रभाव तो हुआ है, लेकिन आज भी एनआरआई जब पंजाब की धरती पर उतरते हैं, तो पंजाब का खाना ही तलाशते हैं। लाख चुनौतियों के बाद भी पंजाब का पारंपरिक फूड बुलंदियों पर है।
पंजाब में हर इलाके के खाने की अपनी पहचान
माझा इलाके के प्रमुख व्यंजन:
1. अमृतसरी कुलचा
यह एक भरा हुआ तंदूरी परांठा होता है, जिसे मिट्टी के तंदूर में पकाया जाता है। अंदर आलू, पनीर या प्याज की मसालेदार स्टफिंग होती है। इसे छोले, प्याज और मक्खन के साथ परोसा जाता है।
2. छोले भटूरे
पंजाबी खाने का सबसे मशहूर स्ट्रीट फूड है। भटूरे मैदे से बने बड़े फूले हुए पूरियों जैसे होते हैं। छोले मसालेदार चने की सब्ज़ी जो खट्टी और तीखी होती है।
3. सरसों का साग और मक्के की रोटी
ये सर्दियों का खास भोजन है। सरसों, पालक और बथुआ को मिलाकर साग बनाया जाता है। मक्के के आटे की मोटी रोटी पर सफेद मक्खन या घी लगाकर साथ में गुड़ और लहसुन की चटनी भी दी जाती है।
4. अमृतसरी फिश फ्राई
ताजे मसालों और बेसन में लिपटी हुई मछली को डीप फ्राई किया जाता है। यह अमृतसर में बहुत मशहूर है, खासकर सर्दियों में।
5. मठ्ठा या लस्सी
मटके में बनाई गई ठंडी मीठी या नमकीन लस्सी। ऊपर से मक्खन या मलाई डालकर परोसी जाती है। खाने के साथ या बाद में पिया जाता है।
6. पिंडी छोले
यह छोले खास तरीके से भूने जाते हैं, बिना ज्यादा ग्रेवी के। इसमें सूखे मसाले, अनारदाना और अमचूर का खास इस्तेमाल होता है।
7. सावन की खीर
सावन के महीने में बनाई जाने वाली खास खीर। दूध, चावल, घी और मेवों से तैयार की जाती है।
8. ढाबा स्टाइल चिकन/मटन करी
पंजाब के हाईवे और गांवों में बने ढाबों की खास रेसिपी। देसी मसाले, ताजे टमाटर, हरी मिर्च और प्याज से बनी तीखी करी।
माझा के खाने की खासियत
पंजाब के माझा इलाके का खाना बहुत ही लाजवाब और स्वाद से भरपूर होता है। यह इलाका मुख्य रूप से अमृतसर, तरनतारन, गुरदासपुर और पठानकोट जिलों में फैला हुआ है। यहां के खाने में देसी घी, मक्खन, ताजे मसाले और तंदूरी तकनीक का भरपूर इस्तेमाल होता है।
दोआबा क्षेत्र के खास पारंपरिक व्यंजन:
1. पराठे
दोआबा के घरों में देसी घी या मक्खन से बने परांठे बहुत आम हैं। खासकर आलू, गोभी, पनीर, मूली के पराठे। ऊपर से सफेद मक्खन और साथ में दही या अचार।
2. कढ़ी चावल
बेसन और दही से बनी खट्टी कढ़ी जिसमें पकौड़े डाले जाते हैं। गरम चावल के साथ परोसी जाती है। दोआबा की कढ़ी थोड़ी पतली और तेज खट्टी होती है।
3. राजमा चावल
दोआबा में राजमा भी बहुत लोकप्रिय है, खासकर पहाड़ी प्रभाव वाले इलाकों में (जैसे होशियारपुर)। मसालेदार ग्रेवी में धीमी आंच पर पके हुए राजमा।
4. पंजाबी चने और पूड़ी
काले चने या काबुली छोले को मसालों में पकाया जाता है। साथ में छोटी फूली हुई पूड़ियां।
5. टिंडे की सब्जी और घर की रोटी
टिंडे (एक प्रकार की लौकी) की मसालेदार सूखी सब्जी। दोआबा के घरों में बहुत आम और प्रिय।
6. गुड़ वाली खीर या चावल
दूध और गुड़ से बनी खीर जो खास मौकों पर बनती है। इसमें नारियल, किशमिश और सूखे मेवे डाले जाते हैं।
7. दाल मक्खनी और तंदूरी रोटी
उड़द दाल, राजमा और मक्खन से बनी गाढ़ी दाल। रेस्टोरेंट और घरों में दोनों जगह लोकप्रिय।
8. लस्सी (घर की मटकी वाली)
भारी दूध की बनी मीठी लस्सी, ऊपर से मलाई या मक्खन। अक्सर दोपहर के खाने के बाद पी जाती है।
दोआबा के खाने की खासियत
यहां एनआर प्रभाव भी बहुत है, इसलिए पारंपरिक खाने में अब इंटरनेशनल टच भी दिखता है।
आज भी हर घर में देसी घी, लहसुन-प्याज का तड़का और घर की रोटी का स्वाद बरकरार है।
मालवा के खास पारंपरिक व्यंजन
1. बेसन दी कढ़ी ते पकौड़े
खट्टी और पतली कढ़ी जिसमें प्याज या मूंग दाल के पकौड़े डाले जाते हैं। इसे अक्सर चावल या रोटी के साथ खाया जाता है।
2. सरसों दा साग ते मक्के दी रोटी
सर्दियों का सबसे लोकप्रिय भोजन। सरसों, बथुआ, पालक से बना साग। मक्के की रोटी, ऊपर से देसी घी या मक्खन और साथ में गुड़।
3. चौली दी दाल (लोबिया)
लोबिया की मसालेदार दाल, जो यहां बहुत आम है। साथ में ताजी रोटी या चावल।
4. भुने हुए बैंगन (बैंगन का भरता)
तंदूर या गैस पर भूना गया बैंगन, मसालों, प्याज, टमाटर और लहसुन के साथ। सर्दियों में बहुत पसंद किया जाता है।
5. मालवा दी मिस्सी रोटी
बेसन, गेहूं का आटा, प्याज, हरी मिर्च और मसाले मिलाकर बनी हुई रोटी। इसे मट्ठा (छाछ) या रायते के साथ खाया जाता है।
6. अलसी (फ्लैक्स सीड) की पिन्नी
सर्दियों में खाई जाने वाली हेल्दी मिठाई।-अलसी, घी, आटा, ड्राय फ्रूट्स और गुड़ से बनती है।
7. दही तड़का/रायता
मोटे तड़के वाला देसी रायता, जिसमें सरसों, करी पत्ता और जीरे का तड़का होता है। खाने के साथ रोजाना इस्तेमाल में आता है।
8. छाछ (मठ्ठा)
गर्मियों में रोजाना दोपहर के खाने के साथ छाछ जरूर दी जाती है। इसमें भुना जीरा, काला नमक और पुदीना मिलाया जाता है।
9. चूरमा, गुड़ वाला दलिया
खासतौर पर त्योहारों और सर्दियों में बनने वाला हलवा जैसा व्यंजन। गेहूं और गुड़ के साथ घी में तैयार किया जाता है।
मालवा के खाने की खासियत
यहां का खाना थोड़ा कम मसालेदार और देसी घी/मक्खन से भरपूर होता है।
खेती प्रधान क्षेत्र होने के कारण घर का ताज़ा दूध, दही, छाछ और देसी अन्न मुख्य आहार का हिस्सा हैं।