Air India Tragedy: विमान हादसे के बाद मुश्किल में बीमा कंपनियां, पॉलिसीधारक के साथ नामित के निधन से फंसा पेंच

एयर इंडिया विमान हादसे ने जहां सैकड़ों लोगों की जान ले ली, वहीं इसके बाद उनके बीमा दावों से जुड़ी कानूनी और पारिवारिक जटिलताएं भी सामने आ रही हैं। दरअसल, पॉलिसीधारक और नॉमिनी दोनों की मौत होने पर उत्तराधिकारियों की पहचान और सहमति की प्रक्रिया काफी चुनौतीपूर्ण बन गई है।
12 जून को लंदन जा रही एयर इंडिया के विमान हादसे में मारे गए यात्रियों और घटनास्थल पर मौजूद लोगों के बीमा दावों को निपटाने में बीमा कंपनियों को कई कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। इसका कारण यह है कि कई मामलों में बीमा पॉलिसीधारक और उनके द्वारा नामित व्यक्ति (नॉमिनी) दोनों ही इस दुर्घटना में मारे गए हैं। इस हादसे में 241 लोग, जिनमें यात्री और क्रू सदस्य शामिल थे, मारे गए हैं। जबकि एक शख्स चमत्कारिक रूप से बच गया है। वहीं घटनास्थल पर मौजूद 29 जमीन पर मौजूद लोगों की जान चली गई थी। कई ऐसे मामले सामने आए हैं जहां पूरा परिवार ही इस दर्दनाक हादसे का शिकार हो गया। एअर इंडिया के इस विमान में 169 भारतीय नागरिक, 52 ब्रिटिश नागरिक, सात पुर्तगाली नागरिक और एक कनाडाई नागरिक सवार था।
बीमा दावों को लेकर क्या हो रहा है?
इस हादसे के तुरंत बाद भारतीय बीमा नियामक एवं विकास प्राधिकरण (आईआरडीएआई) ने बीमा कंपनियों को निर्देश दिया कि वे मृतकों की जानकारी अपने रिकॉर्ड से मिलाएं और बीमा दावों में कोई देरी या अस्वीकृति न करें, बशर्ते मृतक की पहचान पक्की हो। इसके बाद प्रमुख बीमा कंपनियों जैसे, एलआईसी, न्यू इंडिया एश्योरेंस, एचडीएफसी लाइफ, इफको टोकियो जनरल इंश्योरेंस, बजाज एलियांज, टाटा एआईजी ने अहमदाबाद सिविल अस्पताल में हेल्प डेस्क स्थापित किए हैं ताकि पीड़ित परिवारों की सहायता की जा सके।
नामित व्यक्ति की भी मौत, अब क्या?
एलआईसी के अधिकारी आशीष शुक्ला ने बताया कि कंपनी को अब तक 10 दावे मिले हैं। एक मामला ऐसा है जिसमें बीमित व्यक्ति ने अपने जीवनसाथी को नॉमिनी बनाया था, लेकिन दोनों की ही हादसे में मौत हो गई। ऐसे मामलों में सामान्य प्रक्रिया यह है कि उत्तराधिकार प्रमाण पत्र मांगा जाता है, लेकिन इस हादसे को देखते हुए कंपनियां नियमों में थोड़ी राहत दे रही हैं। उनके अनुसार, ‘यदि बीमित व्यक्ति और नॉमिनी दोनों की मौत हो गई है, तो हम ‘क्लास वन’ उत्तराधिकारियों की जांच करते हैं, जैसे कि उनके बच्चे। यदि बच्चे एक से अधिक हैं, तो सभी को आपसी सहमति पत्र देना होता है और एक इंडेम्निटी बॉन्ड कंपनी को सौंपना होता है।’
वहीं इफको टोकियो के दावों के प्रबंधक मनप्रीत सिंह सभरवाल ने बताया कि एक कंपनी के निदेशक और उनकी पत्नी — दोनों ही इस हादसे में मारे गए। कंपनी ने अपने कर्मचारियों का ग्रुप बीमा इफको टोकियो से करवा रखा था। जबकि टाटा एआईजी के निशाल बुच ने कहा कि उन्हें सात दावे मिले हैं, जिनमें से एक मामला भी ऐसा है जहां बीमित व्यक्ति ने अपनी पत्नी को नामित किया था और दोनों की ही मृत्यु हो गई।
अन्य बीमा दावे: केवल जीवन बीमा ही नहीं
न्यू इंडिया एश्योरेंस के अधिकारी प्रकाश खांचंदानी ने बताया कि उन्हें अब तक सात दावे मिले हैं — जिनमें पांच व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा से और दो समुद्री माल बीमा से संबंधित हैं। एक माल बीमा दावा ₹6.5 लाख का निपटा भी दिया गया है। उन्होंने बताया कि व्यक्तिगत दुर्घटना बीमा के मामलों में अभी नामित व्यक्ति के कागजात आना बाकी हैं क्योंकि परिवार शवों के अंतिम संस्कार में व्यस्त हैं। वहीं बजाज एलियांज के क्षेत्रीय प्रबंधक निमिष जोशी ने बताया कि उन्हें चार दावे मिले हैं, जिनमें एक समुद्री माल बीमा का ₹55 लाख का दावा पहले ही निपटा दिया गया है। बाकी तीन यात्रा बीमा के दावे ₹10 लाख के हैं, जो पहले ही निपटा दिए गए हैं।