छात्रों को डराकर या धमकाकर उनकी आवाज को दबाया नहीं जा सकताः यूनियन

छात्रों को डराकर या धमकाकर उनकी आवाज को दबाया नहीं जा सकताः यूनियन

पंजाब यूनिवर्सिटी में दाखिले से पहले शपथ पत्र मांगने पर गवर्नमेंट टीचर्स यूनियन और यूटी कैडर एजुकेशनल एम्प्लाइज यूनियन ने कड़ा विरोध जताया है। दोनों यूनियनों ने इस नियम को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और शांतिपूर्ण प्रदर्शन के अधिकार का उल्लंघन बताया है। कहा कि यह प्रावधान लोकतंत्र में शांतिपूर्वक अपनी बात रखने की प्रक्रिया को खत्म करने जैसा है।

यूनियनों का कहना है कि छात्रों को डराकर या धमकाकर उनकी आवाज को दबाया नहीं जा सकता। इस तरह का कदम केवल तानाशाही को जन्म देता है। किसी भी धरना-प्रदर्शन में हिंसा या सार्वजनिक कार्यों में बाधा डालना गलत है, लेकिन अपने हक के लिए शांतिपूर्वक आवाज उठाना हर नागरिक का संवैधानिक अधिकार है।

उन्होंने कहा कि जब छात्रों या किसी अन्य समुदाय की जायज मांगों को नजरअंदाज किया जाता है, तभी धरना-प्रदर्शन की आवश्यकता पड़ती है। यूनियनों ने यह भी कहा कि भारत में कई बड़े नेताओं की राजनीतिक यात्रा यूनिवर्सिटी के कैंपस से ही शुरू हुई है। अगर प्रशासन छात्रों के हित में फैसले ले तो ऐसे विरोध की नौबत ही नहीं आती। उन्होंने आरोप लगाया कि यह नियम यूनिवर्सिटी प्रशासन द्वारा अपनी गलतियों पर पर्दा डालने के लिए बनाया गया है।
संयुक्त बयान में दोनों यूनियनों की लीडरशिप ने स्पष्ट किया कि वे इस नियम को तत्काल वापस लेने की मांग को लेकर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और भारत के मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखेंगी और छात्रों के साथ मिलकर इस फैसले के खिलाफ संघर्ष करेंगी।