चंडीगढ़ में श्रम कानूनों में होगा संशोधन: महिलाएं रात में कर सकेंगी काम, फैक्ट्रियों में बढ़ेगी ओवरटाइम सीमा

औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के तहत अब यह अधिनियम केवल उन इकाइयों पर लागू होगा जिनमें 300 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हों। अभी यह सीमा 100 कर्मचारियों की है। साथ ही चंडीगढ़ के लिए इस अधिनियम में एक विशेष संशोधन का भी प्रस्ताव है।
चंडीगढ़ यूटी प्रशासन ने श्रम कानूनों में बड़े सुधारों का प्रस्ताव तैयार किया है। पंजाब और हरियाणा की तर्ज पर तैयार इन प्रस्तावों के तहत छोटे उद्योगों को जटिल प्रक्रियाओं से राहत, महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम करने की अनुमति, ओवरटाइम की सीमा बढ़ाने और मामूली उल्लंघनों के निपटारे के लिए समझौते की व्यवस्था जैसी कई अहम बदलाव शामिल हैं।
प्रशासन के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इन संशोधनों का मकसद नियमों को सरल बनाना, उद्योगों को अधिक लचीलापन देना और निवेश के लिए अनुकूल माहौल तैयार करना है। संशोधनों को पंजाब पुनर्गठन अधिनियम, 1966 की धारा 87 के तहत लागू करने की सिफारिश की गई है। सबसे अहम बदलावों में शामिल है फैक्ट्री अधिनियम के दायरे में आने वाली इकाइयों की सीमा बढ़ाना।
अब यह अधिनियम उन्हीं फैक्ट्रियों पर लागू होगा जहां बिजली के साथ 20 या उससे अधिक कर्मचारी काम करते हैं या बिना बिजली के 40 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। पहले यह सीमा 10 और 20 थी। इससे छोटे उद्योगों को नियमों की जटिलता से राहत मिलेगी और उनके संचालन का खर्च भी कम होगा।
सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हो तो महिलाएं रात को कर सकेंगी काम
इसके साथ ही, महिलाओं को रात की शिफ्ट में काम करने की अनुमति दी जाएगी, बशर्ते सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम हों। इस कदम से महिलाओं को अधिक रोजगार के अवसर मिलेंगे। ओवरटाइम की सीमा भी बढ़ाई जा रही है। अब कर्मचारी हर तिमाही में 125 घंटे तक ओवरटाइम कर सकेंगे, जबकि पहले यह सीमा 75 घंटे थी। साथ ही, अब छोटे-मोटे नियम उल्लंघन पर लंबी कानूनी प्रक्रिया की जगह सीधे सुलह का रास्ता अपनाया जा सकेगा। इससे उद्योगों का समय और संसाधन दोनों बचेंगे।
50 से ज्यादा संविदा कर्मचारी हुए तो ही लागू होगा कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट
प्रशासन ने कॉन्ट्रैक्ट लेबर एक्ट और इंडस्ट्रियल डिस्प्यूट्स एक्ट में भी अहम संशोधनों का प्रस्ताव रखा है। कॉन्ट्रैक्ट लेबर (विनियमन और उन्मूलन) अधिनियम, 1970 में बदलाव के तहत अब यह अधिनियम केवल उन प्रतिष्ठानों पर लागू होगा जहां 50 या उससे अधिक संविदा कर्मचारी कार्यरत हैं। फिलहाल यह सीमा 20 कर्मचारियों की है। इस बदलाव से छोटे-मझोले उद्योगों को विभिन्न तरह की लाइसेंसिंग, रजिस्ट्रेशन प्रक्रियाओं से राहत मिलेगी। यह पहल केंद्रीय श्रम एवं रोजगार मंत्रालय की ‘ईज ऑफ डूइंग बिजनेस’ नीति के तहत की गई है, जिसमें नियमों को सरल बनाने, अनुपालन बोझ घटाने और एक सहयोगात्मक कारोबारी माहौल तैयार करने पर जोर दिया गया है।
उद्योगों को अनुपालन में मिलेगी राहत
औद्योगिक विवाद अधिनियम, 1947 के तहत अब यह अधिनियम केवल उन इकाइयों पर लागू होगा जिनमें 300 या उससे अधिक कर्मचारी कार्यरत हों। अभी यह सीमा 100 कर्मचारियों की है। साथ ही चंडीगढ़ के लिए इस अधिनियम में एक विशेष संशोधन का भी प्रस्ताव है। इसके तहत धारा 22 में पब्लिक यूटिलिटी सर्विस की जगह अब पब्लिक यूटिलिटी सर्विस और सभी औद्योगिक प्रतिष्ठान शामिल किए जाएंगे। इसका उद्देश्य यह सुनिश्चित करना है कि किसी भी तरह के औद्योगिक विवाद के कारण आवश्यक सेवाएं और उत्पादन ठप न हों और सभी उद्योग बिना रुकावट के काम करते रहें। प्रशासन का कहना है कि इन प्रस्तावित संशोधनों से चंडीगढ़ में उद्योगों को बेहतर संचालन का मौका मिलेगा और विवाद कम होंगे।