पंजाब में भाजपा का ग्राफ बढ़ाने में रूपाणी की रही अहम भूमिका, पार्टी के लिए किए ये बड़े काम

पंजाब में भाजपा का ग्राफ बढ़ाने में रूपाणी की रही अहम भूमिका, पार्टी के लिए किए ये बड़े काम

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का अहमदाबाद विमान हादसे में देहांत हो गया। विजय रूपाणी पंजाब भाजपा के प्रभारी थे। वह तीन दिन पहले ही लुधियाना आए थे। अहमदाबाद में वीरवार को एयर इंडिया के प्लेन क्रैश में गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री विजय रूपाणी का भी निधन हो गया। रूपाणी अपनी बेटी से मिलने लंदन जा रहे थे। विजय रूपाणी के पास पंजाब और चंडीगढ़ की बड़ी जिम्मेदारी थी। रूपाणी पंजाब व चंडीगढ़ के भाजपा प्रभारी थे।

पंजाब भाजपा के प्रभारी विजय रूपाणी सूबे में भाजपा को जमीनी स्तर पर मजबूत कर रहे थे। यहां पार्टी का ग्राफ बढ़ाने में उनकी अहम भूमिका रही। 2024 के लोकसभा चुनाव में पंजाब भाजपा राज्य में बेशक 13 में से एक भी सीट नहीं जीत पाई, लेकिन पार्टी का वोटिंग प्रतिशत 18.56 प्रतिशत दर्ज किया गया। पंजाब की 13 सीटों में से भाजपा तीन से चार सीटों पर दूसरे नंबर पर रही।रूपाणी सितंबर 2022 से पंजाब भाजपा के प्रभारी थे। 2024 में भी भाजपा हाईकमान ने प्रभारी के तौर पर उन पर दोबारा भरोसा जताया था। पंजाब में भाजपा का ग्राफ बढ़ाने में प्रभारी रूपाणी के अहम योगदान का इससे आकलन किया जा सकता है कि 2019 के लोकसभा चुनाव में पंजाब में भाजपा को 9.63 प्रतिशत वोट और 2022 के विधानसभा चुनाव में 6.60 प्रतिशत वोट हासिल हुए थे। 2022 में प्रभारी बनाए जाने के बाद से राज्य में भाजपा का ग्राफ 18.56 प्रतिशत तक पहुंचा।

रूपाणी दो बार गुजरात के सीएम रहे। वह जमीनी स्तर पर जाकर पार्टी के कार्यकर्ताओं से मिलने में कभी परहेज नहीं करते थे। पंजाब में लुधियाना पश्चिम उपचुनाव को लेकर भी रूपाणी बीते 10 दिनों तक यहां थे। उन्होंने 3 दिन पहले लुधियाना पश्चिम में पार्टी उम्मीदवार जीवन गुप्ता के लिए प्रचार किया था। इससे पहले 3 जून को पार्टी उम्मीदवार जीवन गुप्ता का नामांकन भरवाया था। वह 9 जून को लुधियाना से गुजरात के लिए रवाना हुए थे।

केंद्रीय नेतृत्व और जाखड़ के बीच मनमुटाव को किया दूर
2024 के लोकसभा चुनाव के बाद पंजाब भाजपा अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने हाईकमान को अपना इस्तीफा सौंप दिया था। इस्तीफा देने की पीछे चर्चा था कि लोकसभा में 13 सीटों पर उम्मीदवारों के चयन प्रक्रिया में कुछ सीटों पर उनकी सलाह नहीं मानी गई। पंजाब से जुड़े मुद्दों, पार्टी के विस्तार और केंद्रीय राज्य मंत्री रवनीत सिंह बिट्टू के भाजपा में एंट्री को लेकर भी जाखड़ की हाईकमान के साथ मनमुटाव सामने आए थे। इस्तीफे के बाद जब जाखड़ सियासी जमीन से ओझल हो गए, तब रूपाणी ने जाखड़ के केंद्र के साथ न केवल मनमुटाव को दूर किया, बल्कि इस बीच संगठन की बागडोर भी संभाली।