ईसी-सस्टेनेबल बिल्डिंग कोड: चंडीगढ़ में बड़ी बिल्डिंग पानी-मिट्टी को खराब होने से बचाएंगी, बिजली बचत भी करेगी

इस समय शहर में चंडीगढ़ ऊर्जा संरक्षण भवन कोड-2024 (सीईसीबीसी) लागू है। इससे हर वर्ष करीब 20 से 30 फीसदी तक बिजली की बचत की जा रही है लेकिन अब केंद्र सरकार के बीईई ने संशोधन करके इसमें “सस्टेनेबिलिटी (सतत)” को भी जोड़ दिया है। चंडीगढ़ में इमारतें पर्यावरण के प्रति जिम्मेदार भी बनेंगी। शहर में ऊर्जा संरक्षण और सतत भवन संहिता (ईसीएसबीसी) को अपनाने की दिशा में काम शुरू हो गया है, जिससे भविष्य की बड़ी बिल्डिंग्स न सिर्फ बिजली और पानी बचाएंगी, बल्कि कचरे के उचित निस्तारण और मिट्टी के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएंगी। ऊर्जा दक्षता ब्यूरो (बीईई) की तरफ से हाल ही में नोटिफाई किए गए ईसीएसबी कोड को अगले 6 से 8 महीनों में चंडीगढ़ में नोटिफाई करने की तैयारी है। वर्तमान में शहर में चंडीगढ़ ऊर्जा संरक्षण भवन कोड-2024 (सीईसीबीसी) लागू है। इससे हर वर्ष करीब 20 से 30 फीसदी तक बिजली की बचत की जा रही है लेकिन अब केंद्र सरकार के बीईई ने संशोधन करके इसमें “सस्टेनेबिलिटी (सतत)” को भी जोड़ दिया है।
इसके तहत बिल्डिंग्स सिर्फ बिजली ही नहीं, बल्कि पानी बचाएंगी, बल्कि कचरे के उचित निस्तारण और मिट्टी के संरक्षण में भी अहम भूमिका निभाएंगी। इसमें कार्बन एम्बेडेड, नेट-जीरो एमिशन, संसाधन दक्षता, स्वच्छ ऊर्जा जैसे नए आयाम जोड़े गए हैं। इसका उद्देश्य यह भी है कि भविष्य की बड़ी इमरातों के कचरे का सोर्स लेवल पर ही निस्तारण हो सके। बीईई ने चंडीगढ़ समेत सभी राज्यों व यूटी को इसे अपनाने को कहा है। जिसमें चंडीगढ़ ने पहल करते हुए काम शुरू कर दिया है।
निगम-पर्यावरण विभाग को शामिल कर बनेगी कमेटी
एक अधिकारी ने बताया कि चंडीगढ़ में अभी जो कोड नोटिफाई है, अब उसकी जगह यह नए कोड नोटिफाई करने होंगे। इसके लिए प्रक्रिया थोड़ी लंबी हो जाएगी, क्योंकि इसमें नगर निगम, पर्यावरण विभाग समेत कुछ अन्य विभागों को भी शामिल करना होगा। सभी की एक जॉइंट कमेटी भी बनेगी, जो विभिन्न नियमों पर चर्चा करेगी। सभी स्टेकहोल्डर्स की अगले एक महीने के अंदर बैठक बुलाई जाएगी और विभाग की कोशिश है 6 से 8 महीने में इसे नोटिफाई कराया जा सके। नोटिफाई होने के बाद यह एस्टेट ऑफिस को भेजा जाएगा। वह बिल्डिंग बायलॉज में संशोधन कर इसे शामिल करेंगें, जिसके बाद भविष्य में बनने वाली सभी बड़ी बिल्डिंग इसी कोड के अनुसार बनेगी।
डिजाइन और निर्माण स्टाइल में होगा बदलाव
नियमों का पालन करने के लिए भवनों को डिजाइन इस तरह किया जाएगा कि प्राकृतिक रोशनी और वेंटिलेशन अधिकतम हो, जिससे कृत्रिम प्रकाश और एयर कंडीशनिंग पर निर्भरता घटे। छत, दीवारों और खिड़कियों में थर्मल इन्सुलेशन का उपयोग बढ़ेगा, जिससे गर्मी या ठंडक बाहर से अंदर कम आएगी और ऊर्जा की बचत होगी। ग्रीन रूफ और वर्टिकल गार्डन जैसी तकनीकों को अपनाया जाएगा। हीटिंग, वेंटिलेशन, एयर कंडीशनिंग को अधिक ऑटोमेटेड बनाया जाएगा, जिससे ऊर्जा की खपत कम हो। बिल्डिंग मैनेजमेंट सिस्टम का उपयोग बढ़ेगा ताकि ऊर्जा उपयोग का डेटा रियल टाइम में मिल सके।
इन इमारतों पर लागू होंगे कोड
शहर में नई बनने वाली जिस भी बिल्डिंग का कनेक्टेड लोड 50 किलोवाट या उससे अधिक है या भवन की कॉन्ट्रैक्ट डिमांड 60 केवीए या इससे अधिक है या भवन का प्लॉट क्षेत्रफल 1000 वर्ग मीटर या उससे अधिक है या भवन का निर्मित क्षेत्र बेसमेंट को छोड़कर 2000 वर्ग मीटर या उससे अधिक है। इस दायरे में आने वाले सभी इमारतों पर ये कोड लागू होगा।