चंडीगढ़ के लिए खतरे की घंटीः जिन पेड़ों की गोद में बसा शहर, अब उन्हीं से बढ़ने लगा खतरा… क्या है कारण

चंडीगढ़ में शनिवार रात को आई भारी बरसात के कारण सेक्टर 22 में डिवाइडिंग रोड पर लगा विशाल पिलखन का पेड़ एक घर पर गिर गया था। चंडीगढ़ की हरियाली पर खतरे की घंटी बज गई है। रविवार को तेज बारिश के कारण सेक्टर-22/23 की डिवाइडिंग रोड पर सेक्टर-22 की तरफ एक विशाल पिलखन का पेड़ जड़ से उखड़ गया और एक सरकारी मकान पर जा गिरा। इससे सरकारी घर की पिछली दीवार और अंदर बने एक छोटे कमरे को नुकसान पहुंचा।गनीमत रही कि कोई जनहानि नहीं हुई। सेक्टर-32 में भी ऐसा ही हादसा हुआ। शहर में लगे वे पेड़, जिनकी उम्र 150 से 200 साल होनी चाहिए, वे महज 50-60 साल में गिरने लगे हैं। इससे कई सवाल उठने लगे हैं।
बिगड़ रही पेड़ों की हालत
शहर की पहचान माने जाने वाले हरे-भरे पेड़ों की हालत दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। शनिवार रात तेज बारिश के बाद जो विशाल पिलखन का पेड़ गिरा यह वही है जो 1965 से 1970 के बीच सेक्टर-22 और 23 की सड़कों पर नगर नियोजन के तहत लगाए गए थे। इससे न सिर्फ सार्वजनिक सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है, बल्कि शहर की हरियाली और पारिस्थितिक संतुलन को भी गहरी चोट पहुंच रही है।
बिगड़ रही पेड़ों की हालत
शहर की पहचान माने जाने वाले हरे-भरे पेड़ों की हालत दिनों-दिन बिगड़ती जा रही है। शनिवार रात तेज बारिश के बाद जो विशाल पिलखन का पेड़ गिरा यह वही है जो 1965 से 1970 के बीच सेक्टर-22 और 23 की सड़कों पर नगर नियोजन के तहत लगाए गए थे। इससे न सिर्फ सार्वजनिक सुरक्षा पर खतरा मंडरा रहा है, बल्कि शहर की हरियाली और पारिस्थितिक संतुलन को भी गहरी चोट पहुंच रही है।
पेड़ों को दीमक खा रहे है। बाहर से वे भले ही हरे-भरे दिखते हों लेकिन अंदर से कमजोर हो चुके होते हैं। चूहे भी मिट्टी को खोखला कर रहे हैं, जिससे पेड़ों की जड़ें और कमजोर हो जाती हैं। पेड़ों की प्रूनिंग भी गलत तरीके से की जा रही है। प्रूनिंग के बाद ट्रीटमेंट जरूरी होता है, लेकिन यहां वह भी नहीं किया जाता। अनट्रेंड लोग छंटाई का काम करते हैं, जिससे पेड़ असंतुलित हो जाते हैं। बारिश में यह खतरा और बढ़ जाता है I